खुद बोतलबंद पानी बेचने वाली टाटा क्यों है बिसलेरी की प्यासी ?

नई दिल्ली: देश की सबसे लोकप्रिय बोतलबंद पानी बेचने वाली कंपनी बिसलेरी ( Bisleri) बिकने जा रही है। कंपनी के मालिक रमेश चौहान ( Ramesh Chauhan) ने एक इंटरव्यू के दौरान इस बात की पुष्टि की है कि उत्तराधिकारी के अभाव में वो अपनी कंपनी को बेचने जा रहे हैं। बिसलेरी को खरीदने के लिए रिलायंस ( Reliance), नेस्ले और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (Tata consumer products limited) जैसी कंपनियां आगे आई हैं। 6000 से 7000 करोड़ में रमेश चौहान अपनी कंपनी को बेचने वाले हैं। रिपोर्ट्स की माने तो बिसलेरी की कमान टाटा के पास पहुंच सकती है, हालांकि इस बारे में फिलहाल आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। रमेश चौहान ने इकोनॉमिक्स टाइम्स के साथ अपने इंटरव्यू में जिस तरह से टाटा ( Tata) के वर्क कल्चर, उनके नेतृत्व और कारोबार को लेकर उनके आदर्शों की तारीफ की, उससे कयास लगाए जा रहे हैं कि टाटा के पास देश की सबसे बड़ी बोतलबंद वाटर कंपनी बिसलेरी ( Bisleri) पहुंच जाएगी। TATA कंज्यूमर जो पहले से ही पैकैज्ड मिनिरल वाटर बेचती है, आखिर क्यों बिसलेरी ( Bisleri) को खरीदना चाहती है?
क्यों बिसलेरी खरीदना चाहती है टाटा
टाटा ( Tata) पहले से ही पानी के कारोबार में है, लेकिन वो 7000 करोड़ रुपए खर्च कर बिसलेरी ( Bisleri) ब्रांड को खरीदना चाहती है। टाटा के पास पहले से ही हिमालयल ( Himalayan ),टाटा कॉपर प्लस ( Tata Copper Plus) और टाटा ग्लू प्लस ( Tata Gluco Plus) जैसे प्रोडक्ट्स है, लेकिन बावजूद इसके वो बिसलेरी का अधिग्रहण करने के लिए उत्सुक है। दरअसल बिसलेरी वाटर बिजनेस की अग्रणी कंपनी है, अगर टाटा बिसलेरी को खरीदने में सफल हो जाती है तो पैकैज्ड वाटर बिजनेस में ये और मजबूत हो जाएगी और नंबर 1 कंपनी बन जाएगी। बिसलेरी की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक देश में पैकैज्ड वाटर का बाजार 20 हजार करोड़ का है, जिसमें से 60 फीसदी हिस्सेदारी असंगठित है, इसमें बिसलेरी की हिस्सेदारी 32 फीसदी की है। ऐसे में अगर ये कंपनी टाटा के पास पहुंचती है तो टाटा का वर्चस्व और बढ़ जाएगा।
पानी मतलब Bilseri... का मिलेगा फायदा
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टाटा के पास फिलहाल जो वाटर प्रोडक्ट्स हैं वो प्रीमियम सेग्मेंट के हैं। चाहे वो हिमायलय हो या फिर टाटा कॉपर, अगर बिसलेरी टाटा की हो जाती है तो कंपनी आम लोगों के बीच पहुंच जाएगी। पानी मतलब Bilseri...जैसी भावना का फायदा टाटा को मिलेगा। बिसलेरी के अधिग्रहण के बाद टाटा का वाटर प्रोफाइल और मजबूत हो जाएगा। टाटा के पास जो वाटर ब्रांड हैं, वो प्रीमियम ब्रांड है। टाटा के हिमालयन वाटर की कीमत 50 रुपए से लेकर 70 रुपए हैं तो वहीं ग्लूको प्लस के 200 एमएल की कीमत 10 रुपए है। ऐसे में अगर बिसलेरी टाटा की हो जाती है तो टाटा आम लोगों तक पहुंच सकेगी।
TATA को मिलेगा बिसलेरी का नेटवर्क
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टाटा अगर बिसलेरी का अधिग्रहण कर लेती है तो बोतलबंद पानी के कारोबार में खुद को और मजबूत कर लेगी। बिसलेरी (Bisleri) की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक उसके पास देश और विदेश में 4500 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर्स और 5000 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूशन ट्रक्स हैं। वित्तीय वर्ष 2023 में कंपनी को 220 करोड़ रुपए की प्रॉफिट की उम्मीद है और कंपनी का टर्नओवर 2500 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान हैं।
बढ़ेगा Tata का मुनाफा -बढ़ेगा नेटवर्क
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टाटा अगर बिसलेरी खरीद लेती है तो भारत में बोतलबंद पानी के कारोबार पर Tata का राज होगा। मार्केट रिसर्च एंड एडवाइजरी टेकसाई रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2021 में भारत में बोतलबंद पानी का कारोबार 243 करोड़ डॉलर यानी करीब 19315 करोड़ रुपए का था। जिस तरह से लोग अपने हेल्थ और वाटर हाइजीन को लेकर सजग हो रहे हैं, माना जा रहा है कि ये कारोबार 13.25 फीसदी की सीएजीआर की रफ्तार से बढ़ेगा। ऐसे में टाटा के पास अच्छा मौका हैं देश और विदेश दोनों में अपने वाटर कारोबार को बढ़ने का। बिसलेरी के पास 122 से ज्यादा ऑपरेशनल प्लांट हैं। मिनिरल वाटर के साथ-साथ बिसलेरी इंटरनेशनल प्रीमियम वाटर ब्रांड भी बेचती है, अगर ये डील हो जाती है तो टाटा बोतलबंद पानी के कारोबार के एंट्री लेवल, मीड सेगमेंट और प्रीमियम कैटेगरी में शामिल हो जाएगा। इक्विटी रिसर्च फर्म नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यदि ये डील हो जाती है तो अगले वित्तीय वर्ष में टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के राजस्व और मुनाफे में 18 फीसदी तक की बढ़ सकता है । राजस्व के साथ-साथ बिसलेरी के आने से कंपनी का पोर्टफोलियो मजबूत होगा और बाजार में उसकी पकड़ और मजबूत हो जाएगी। गौरतलब है कि बिसलेरी के मालिक रमेश चौहान 82 साल के हैं। स्वास्थ कारणों और उत्तराधिकारी के अभाव में वो अपनी कंपनी को 6000 से 7000 करोड़ में बेचने की प्लानिंग कर रहे हैं।